Wednesday, September 30, 2020

अंधेर नगरी चौपट राजा

  


अंधेर नगरी चौपट राजा 

- यहीं हाल है इस समय देश की क़ानून व्यवस्था का ।

मुद्दे उठा लेते हैं थोड़े से पुराने हैदराबाद वाला रेप केस याद है ना वहाँ दरिंदो को जिस नाटकीय अंदाज़ में मारा गया ,फिर आते है बाबा के इलाके की जो सुरक्षा के बड़े  कसीदे गढ़ते है-विकास दुबे याद है ना कैसे मारा गया जैसे कोई पिक्चर चल रही हो ,खैर सब बहुत खुश हुए थे। तब भी तो कानून की धज्जिया उड़ाई गयी थी,तब खुश होने वाली बात सिर्फ इसलिए थी आप पुलिस वालों को सिंघम पिक्चर का अजय देवगन समझने लगे थे । तो भाई लोगों तब भी जो हुआ था वो गलत था क्योंकि जब कानून के दायरे से हट कर काम हुक्मरानों के कहेने पर होने लगेगा तो अब भी हुआ है, वो जो बैठे है न ऊपर उनको तुमसे तनिक भी भय नहीं है  तब भी और आज भी। ये जिन हुक्मरानों के तलवे चाट कर उनके कहे अनुसार कर रहे है ,याद रखियेगा ये जब इसका उलट इस्तेमाल करेंगे जो कि हो रहा है तो सबसे ज्यादा दुखेगा सबको ,हां वही दुःखेगा; जहां बड़ी खुशी हो रही थी ।।तो आज वही हुआ है  और अब होता रहेगा क्योंकि तुम्हारी आत्मा मर चुकी है,तुम उनके कुकर्मों पर खड़े हो ना तर्क देने उनसे भी आगे।अभी एक तबका है जो इस पर भी तुमको तर्क देने आएगा,हो सकता है कोरोना का ही बहाना बनाए,और तुम सब मूक-बधिर बने देखते रहना क्योंकि सवाल मर गये है तुम्हारे ।

आज जो भी हुआ मानवता को शर्मसार करने वाली घटना हुई है,बहुत भयावह है । अभी तीन दिन पहले डॉटर्स दिवस मना रहे थे वो बच्ची लड़ रही थी अपने जीवन की लड़ाई अपने अस्तित्व की जंग। इस घटना को मीडिया मे जगह तक नहीं मिली,उन्हे कहाँ फुर्सत है सुशांत को न्याय दिलाने से । जितनी बेशर्मी मीडिया ने दिखाई, उतनी ही क्रूरता शासन-प्रशासन ने दिखाई । इस मुद्दे ने आग तब पकड़ी तब दलित समाज ने मिल कर आवाज़ उठाई,और फिर मुद्दा जातिवाद पर आकर टिक गया ।अब आवाज़ कैसे उठाए बात यहाँ बलात्कार की नहीं,अब जाति और सरकार पर आ गयी तो तथाकथित देशभक्त आ खड़े हुए इसमें अपना ज्ञान देने। बहुत सारे कानून बनेंगे अभी पर उन सबका क्या ? क्या मतलब ऐसे कानून का जिसका गलत इस्तेमाल वो खुद रहे है ।वो उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे। आकड़े उठाकर देखिये एक बार पन्नों की संख्या गिन नहीं पाएंगे आप । आप क्या ही कीजियेगा,आप बस राजनीत कीजिये लेफ्ट राइट कीजिये ,दलित स्वर्ण देखिये ,अपनी अपनी पार्टी के गुण गाइये, बाकी जिसका गया है वो तो रो ही रहे है ।।आप क्या ही कीजियेगा ।

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ,ये मंत्र है पर अब जुमले से ज्यादा कुछ नहीं।

तुम माफ मत मारना बच्ची ये समाज तुम्हारा दोषी है ।

शर्मिंदा है हम ।

‘बाड़ियाँ फटे हुए बाँसों पर फहरा रही हैं

और इतिहास के पन्नों पर

धर्म के लिए मरे हुए लोगों के नाम

बात सिर्फ़ इतनी है

स्नानाघाट पर जाता हुआ रास्ता

देह की मण्डी से होकर गुज़रता है

और जहाँ घटित होने के लिए कुछ भी नहीं है

वहीं हम गवाह की तरह खड़े किये जाते हैं

कुछ देर अपनी ऊब में तटस्थ

और फिर चमत्कार की वापसी के बाद

भीड़ से वापस ले लिए जाते हैं

वक़्त और लोगों के बीच

सवाल शोर के नापने का नहीं है

बल्कि उस फ़ासले का है जो इस रफ़्तार में भी

सुरक्षित है

वैसे हम समझते हैं कि सच्चाई

हमें अक्सर अपराध की सीमा पर

छोड़ आती है

आदतों और विज्ञापनों से दबे हुए आदमी का

सबसे अमूल्य क्षण सन्देहों में

तुलता है

हर ईमान का एक चोर दरवाज़ा होता है

जो सण्डास की बगल में खुलता है

दृष्टियोंकी धार में बहती नैतिकता का

कितना भद्धा मज़ाक है

कि हमारे चेहरों पर

आँख के ठीक नीचे ही नाक है’।

Tuesday, September 29, 2020

......शर्मिंदा है हम...



कई कोठरियाँ थीं कतार में

उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई

थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया

उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा

उसके बचपन से जवानी तक की कथा...


कितनी कमाल की बात है ,एक रेप होता है और कथित चैनलों पर एक डिबेट के लिए जगह नहीं मिलती,होगी भी क्यूँ भई मुद्दा उनके लिए ये बड़ा थोड़े ही है। उनके लिए मुद्दा है किस हीरोइन का ने क्या किया ,उस मुद्दे में मसाला नहीं था, मुद्दे में थे सवाल,हाँ सवाल। सुनकर अटपटा लगा न ,हाँ लगेगा ही क्यूकिं भई हमारी आत्मा ने खुद से सवाल करना बंद कर दिया है । हम बस उनके दिखाये मसालों में ही खुश है असल ज़िंदगी में दर्द तकलीफ से हमें क्या मतलब? इस मुद्दे को ट्रेंड भी नही होना था,होता भी कैसे क्यूकीं ये कोई सेलेब्रिटी तो थी नहीं (ये थी लिखना जो तकलीफ़ दे रहा है उसे बयां कर पाना मुश्किल है ) ये थी महज़ एक गरीब दलित लड़की ,दलित सुनकर अंग फड़फड़ाने लगे होंगे इस समाज के तथाकथिक रक्षकों के। 

एक लड़की का बलात्कार होता है और वो आखिरकार अपनी ज़िंदगी से हार जाती है,सोचिए जरा सब अगर  अंदर का इंसान तनिक सा भी ज़िंदा है आपके? क्या गलती थी उसकी? एक लड़की होना या एक गरीब घर में पैदा होना ? 19 साल की लड़की उसे खेत में घसीट कर बारी बारी से दुष्कर्म किया गया ,उसके बाद उसे मारने के इरादे से उसकी गर्दन दबायी जाती है और उसे मरा समझ कर छोड़ के चले जाते है,बच्ची बच जाती है फिर शुरू होती है उसके अस्तित्व की जंग,हाँ ठीक पढ़ रहे है अस्तित्व की जंग जो  शासन प्रशासन से लेकर मीडिया तक  इन सब से हार कर वो आज सुबह इस दुनिया को छोड़ कर चली गई । अपने जीवन को लेकर उसका ये सपना तो कभी नहीं होगा। 

इस मुद्दे पर अभी भी राजनीति खत्म नहीं हुई, उसके साथ जो हुआ उन्हे झूठा बताया जा रहा है,जीभ नहीं कटी हड्डी नहीं टूटी वगैरह वगैरह  । अमा भई कहाँ से लाते हो इतनी बेशर्मी एक लड़की जिसके साथ दुष्कर्म हुआ, 20 दिन ज़िंदगी मौत से लड़ने के बाद वो हार जाती है और तुमको अभी ये कहना है कि  नहीं ये नहीं हुआ बस दुष्कर्म हुआ है जीभ और हड्डी नहीं टूटी। बभई वाह ! कितनी बेशर्मी से कह ले रहे हो ,अपने अंतरात्मा से पूछो जरा कि जिन हैवानों ने उसके साथ ये सब किया उनकी सज़ा सिर्फ इसलिए कम हो जाएगी। 

इसका ट्रेंड ना होना ,मीडिया पर इसके लिए जगह ना मिलना आपकी नाकामी है, ये नाकामी है आपकी कि सवाल पैदा होने बंद कर दिये है गए है आपके ,गाँजा कि खबर देखते देखते वह आपके दिमाग में इतना असर कर चुका है कि आपकी आत्मा ने खुद से  सवाल पैदा करने बंद कर दिये है । 

उस लड़की को न्याय मिलने मे ना जाने कितने साल लग जाए,लेकिन जब भी उन दरिंदों को सज़ा मिले वो समाज को सबक दे।  

ईश्वर उस बच्ची की आत्मा को शांति दे ।

#अफ़सोसहै_हम_तुम्हारे_लिए_कुछ_नहीं_कर_पाये। 

#शर्मिंदा_है_हम ।

#हाथरसगैंगरेप

#HathrasGangRape

#hathrasrapecase

 

*उस परिवार के हारे हुए चेहरो को तुम सब गौर से देखना,सवाल करना खुद से एक बार जरूर

जरूर ..


सबसे खतरनाक वो आंख होती है

जो सबकुछ देखती हुई जमी बर्फ होती है

जिसकी नजर दुनिया को मोहब्बत से चूमना भूल जाती है

जो चीजों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है

जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुई

एक लक्ष्यहीन दोहराव के उलटफेर में खो जाती है

सबसे खतरनाक वो चांद होता है

जो हर क़त्ल, हर कांड के बाद

वीरान हुए आंगन में चढ़ता है

लेकिन आपकी आंखों में मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है

सबसे खतरनाक वो गीत होता है

आपके कानों तक पहुंचने के लिए

जो मरसिए पढ़ता है

आतंकित लोगों के दरवाजों पर

जो गुंडों की तरह अकड़ता है

सबसे खतरनाक वह रात होती है

जो ज़िंदा रूह के आसमानों पर ढलती है

जिसमें सिर्फ उल्लू बोलते और हुआं हुआं करते गीदड़

हमेशा के अंधेरे बंद दरवाजों-चौखटों पर चिपक जाते हैं...